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Prayagraj documentary for tourist and travelers | All tourist places of Allahabad

Prayagraj documentary for tourist and travelers |  All tourist places of Allahabad भारत के अलग-अलग राज्यों अथवा विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए कोई भी स्थान आकर्षण का केंद्र तभी बन पाता है जब धार्मिक एवं ऐतिहासिक रूप से मानव सभ्यता के विकास एवं बहुत बड़े परिवर्तन का साक्षी रहा हो। इसी कारण प्रयागराज सिर्फ उत्तर प्रदेश का ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष एवं विदेशों से आने वाले सैलानियों के लिए धर्म एवं इतिहास को अनुभव करने का प्रमुख स्थान बन चुका है।

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खुसरो बाग ( Khusro Bag, Prayagraj Allahabad )-

ढाई लाख वर्ग मीटर में फैले इस विशाल बाग में चार मकबरे मौजूद हैं। अकबर के पुत्र जहांगीर को बाग बगीचों से बहुत अधिक प्रेम था। उनकी पहली पत्नी मानबाई, राजपूत राजा मानसिंह की बहन थी। 1587 में जब उन्होने खुसरो को जन्म दिया तब उन्हें शाह बेगम की उपाधि दी गई। (अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें)

बमरौली में स्थित एयरपोर्ट ( Allahabad airport ) से यदि आप हवाई जहाज के माध्यम से प्रयागराज पहुंचते हैं तो निसंदेह यह आपके लिए एक सुखद अनुभव होगा। हवाई अड्डे से जब आप सड़क के द्वारा प्रयागराज की तरफ बढ़ते हैं तो दीवालें, पुल, खंभे व इमारतें सब कुछ आपको रंग-बिरंगे चित्रों से आमंत्रित करते हुए से प्रतीत होते हैं।

हाई कोर्ट ( High Court Allahabad Prayagraj )

फ्लाईओवर के नीचे से जाते समय इलाहाबाद हाई कोर्ट की कुछ नवनिर्मित इमारतें दिखाई पड़ती हैं। (अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें)

पत्थर का गिरिजा ( All saints cathedral Allahabad Prayagraj )

कुछ आगे जाकर हनुमान मंदिर चौराहे से ही ऑल सेंट कैथेड्रल नामक भव्य विशाल गिरिजाघर दिखाई देता है। जिसे आम लोग पत्थर का गिरजा या गिरजा पत्थर के नाम से बुलाते हैं। (अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें)

सिविल लाइन & हनुमान निकेतन मंदिर ( Civil Lines Allahabad Prayagraj )

सुभाष चौराहे से सरदार पटेल मार्ग की तरफ बढ़ते हुए आप सिविल लाइन की भव्यता देख सकते हैं । पर्यटकों के लिए यहां पर कई सुविधाजनक होटल


कम्पनी बाग ( Company Garden Allahabad Prayagraj )

पास में ही है प्रयागराज का एक और वृहद आकर्षण- कंपनी बाग। जिसे अंग्रेजों के समय में अल्फ्रेड पार्क कहा जाता था।1870 से पहले यह अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी।
1906 में जेम्स डिक्स ने रानी विक्टोरिया की विशाल प्रतिमा इटालियन लाइमस्टोन से बनवाया था जिसे विक्टोरिया मेमोरियल ( Victoria Memorial ) कहा जाता है।
1864 में कंपनी बाग के भीतर इलाहाबाद सार्वजनिक पुस्तकालय ( Allahabad Public Library ) की स्थापना की गई जिसे थ्रोनहिल स्मारक(अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें)
1921 में सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर इलाहाबाद संग्रहालय ( Allahabad Museum ) की स्थापना की गई। (अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें)
कंपनी बाग में ही स्थित है प्रयाग संगीत समिति ( Prayag Sangeet Samiti ) एवं मदन मोहन मालवीय स्टेडियम ( Allahabad Stadium )।

हाथी पार्क चौराहे से थ्रोनहिल रोड पर आगे बढ़ते हुए कुछ ही समय में आप पहुंच जाते हैं प्रयागराज के सबसे विशाल चतुरपथ पर बालसन चौराहा। जहां पर मौजूद है भारद्वाज पार्क ( Bhardwaj Park Allahabad )।
भारद्वाज पार्क से फैजाबाद वाली रोड पर कुछ ही दूरी पर स्थित है आनंद भवन ( Aanand Bhawan ) संग्रहालय। मोतीलाल नेहरू ने 7 अगस्त 1899 में ₹20,000 में 19 बीघे का बंगला राजा जय किशनदास से खरीदा
आनंद भवन के सामने ही बनाया गया है जवाहर तारामंडल.जिसके भीतर अंतरिक्ष एवं तारामंडल ( Planetarium Allahabad) के कई चित्र प्रदर्शनी के तौर पर लगाए गए हैं।

संगम कुम्भ क्षेत्र (Sangam Kumbh Area Prayagraj Allahabad )-

इलाहाबाद जंक्शन से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है-त्रिवेणी संगम। जहां गंगा यमुना के मिलने से संगम क्षेत्र का निर्माण होता है। हर 12 साल बाद लगने वाला महाकुंभ एवं 6 सालों पर आयोजित अर्ध कुंभ को देखने के लिए सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां आते हैं.

(अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें)

संगम क्षेत्र से थोड़ा पहले ही स्थित है बड़े हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर ( Bade Hanuman ji Allahabad )। (अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें)
यहीं से आपको अकबर के किले ( Allahabad Fourt ) की विशाल दीवार नजर आती है। जिसका विस्तार यमुना नदी के किनारे तक दिखाई पड़ता है।

इसी किले के अंदर अक्षयवट ( Akshayvat Allahabad ) नामक सैकड़ों वर्ष पुराना वृक्ष मौजूद है। पौराणिक कथा के अनुसार यह वृक्ष उस समय भी अस्तित्व में था जब भगवान श्री राम चित्रकूट के लिए प्रस्थान कर रहे थे।

अक्षयवट से आगे कुछ सीढ़ियां उतरने के बाद जमीन के नीचे स्थित पातालपुरी मंदिर (Patalpuri Temple ) में पत्थरों की मूर्तियां आपको आश्चर्य से प्रभावित करती हैं।

(अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें)

संगम में प्रवेश करते समय एक सड़क झूसी पुल के नीचे से गंगा नदी के किनारे से होते हुए लगभग 2.5 किलोमीटर दूर स्थित है नागवासुकी का मंदिर.

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